Thursday, December 11, 2008

Santvana

इतना ना बढाओ दुःख अपना

जीना ही दुर्भर हो जाये

अपने मन कि अथाह पींडा

जिसने इस मन में छुपा लिया

वो ही है सच्चा वैरागी ।

दुःख-सुख जीवन के दो पहलू

एक आते है एक जाते है

दो पाटों में पिसतें हैं जो

सच्चा सोना बन जाते हैं ।

दुःख चीज नहीं है दिखाने की

इसको दिल में महसुस करो

एहसास न होने दो इसका

मुस्कानों से इसको भर दो ।

जब गम कि आग भड़क जाये

आंसू बरसा लो अकेले में

सुख में तो सभी हंस लेते हैं

दुःख में भी हंसना सीख लो तुम

दुःख कि भडास बाहर कर लो

इस हंसी के हर पैमाने में

1 comment:

  1. Is this written by yourself? Shocked. Anyway nice, good. even i follow the same

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